बचपन में हमारे वृद्धजनों ने एक बात बहुत सही कही थी, “दान की बछिया के दांत नहीं गिने जाते”। इसका अर्थ तब समझ नहीं आया था, लेकिन अब जब आज कुछ अफ़गान शरणार्थी भारत द्वारा दी गई शरण का लाभ उठाकर उल्टा भारत को आँखें दिखा रहे हैं, तो इसका अर्थ भली-भांति समझ में आता है। जब आपको आश्रय दिया जाता है, जब आपको कोई सुविधा देता है तो आपको कृतज्ञ होना चाहिए, न कि जो आपकी सेवा कर रहा है, उसी के घर और संसाधन को हड़पने पर अपना जोर देना चाहिए।
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